चैनल हिंदुस्तान डेस्क: छत्तीसगढ़ के गांव बावा मोहतरा में एक मगरमच्छ की मौत हो गई। उसे अंतिम विदाई देने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा। साथ ही, लोगों ने मगरमच्छ की अंतिम यात्रा भी निकाली। इस दौरान सभी की आंखों में आंसू थे। बताया जा रहा है कि इस मगरमच्छ की उम्र करीब 150 साल थी और गांव वाले इसे गंगाराम कहकर बुलाते थे। वे इस मगरमच्छ को अपने परिवार के सदस्य जैसा मानते थे।
करीब ढाई क्विंटल का था यह मगरमच्छ:
उपवन मंडलाधिकारी बेमेतरा आरके सिन्हा ने बताया कि इस मगरमच्छ की उम्र करीब 150 साल थी। वह काफी समय से गांव मोहतरा के तालाब में ही रह रहा था। उसकी लंबाई 3.40 मीटर और मोटाई 1.30 मीटर थी। वहीं, वजन करीब ढाई क्विंटल था। उन्होंने बताया कि मंगलवार सुबह कुछ गांव वाले तालाब में नहाने गए तो मगरमच्छ को तैरते देखा। हालांकि, पास जाने पर पता चला कि उसकी मौत हो चुकी थी। यह सूचना वन विभाग को मिली तो पूरी टीम पुलिस अमले के साथ गांव पहुंची और गंगाराम का शव पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाने लगी। ऐसे में गांव वाले अड़ गए और गांव में ही पोस्टमॉर्टम करने की मांग करने लगे। कलेक्टर ने मगरमच्छ के प्रति गांव वालों का लगाव देखकर अधिकारियों को गांव में ही पीएम करने के लिए कह दिया।
नम आंखों से गंगाराम को दी गई विदाई :
लोगों ने ट्रैक्टर से गंगाराम की शवयात्रा निकाली। वहीं, ढोल, मंजीरे, फूल, गुलाल उड़ाकर उसे अंतिम विदाई दी। गांव वालों ने गंगाराम की याद में तालाब किनारे एक मंदिर बनाने का निर्णय भी लिया है।
किसी को कभी नुकसान नहीं पहुंचाया गंगाराम ने :
उप सरपंच भागीरथी यदु ने बताया कि तालाब के पास बने एक मंदिर में हरि महंत रहते थे। वे इस मगरमच्छ को गंगाराम कहकर पुकारते थे। उनके पुकारते ही मगरमच्छ तालाब के बाहर आ जाता था। ग्रामीण शिव साहू ने बताया कि जब बच्चे इस तालाब में नहाते तो मगरमच्छ उनके साथ खेलने लगता था। गंगाराम ने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया।