चैनल हिंदुस्तान डेस्क: हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर मोक्षदायिनी, पतित पावनी गंगा और बंगाल की खाड़ी के संगम पर गंगासागर मेला लगता है। संगम स्थल पर देश-विदेश से आये लाखों श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं। इस साल (15 जनवरी को) गंगासागर मेले में करीब 20 से 25 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। इसको लेकर राज्य सरकार ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है।
कोलकाता के बाबूघाट से लेकर सागर तट तक श्रद्धालुओं को देखा जा सकता है। ‘सब तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार’ का नारा लगाते हुए श्रद्धालु गंगासागर पहुंच रहे हैं। सबके मन में बस यही कामना है कि पतित पावनी गंगा और सिंधु नरेश सागर के पवित्र मिलन स्थल पर पुण्य डुबकी लगाने के बाद कपिलमुनि के दर्शन-पूजन कर जीवन मरन के चक्र से मुक्ति पाना है।
स्नान का महत्व
मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दौरान गंगा में स्नान को पुण्य स्नान कहा जाता है। कहते हैं कि गंगा में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि गंगासागर में डुबकी लगाने मात्र से ही समस्त पाप धुल जाते हैं। पुराणों के मुताबिक, मकर संक्रांति के ही दिन मां गंगा ने भगीरथ के पूर्वज सगर राजा और उनके 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया था।
मेला स्थल पर इंतजाम
तीर्थयात्रियों की आवाजाही के लिए काकद्वीप, नामखाना, काचुबेरिया, चेमागुड़ी और बेनुबन तथा कपिल मुनि मंदिर में लोहे के रेलिंग बनायी गयी है। दक्षिण 24 परगना जिला प्रशासन की ओर से यहां अस्थायी आवास बनवाये गये हैं। बिजली की भी व्यवस्था की गयी है। आप यहां कुछ दिन तक रह सकते हैं। चिकित्सकीय सहायता के लिए सरकारी और एनजीओ द्वारा मेडिकल कैंप लगाये गये हैं। लंगर की भी व्यवस्था की गयी है।
मेले की निगरानी में तैनात
800 सीसीटीवी
12 ड्रोन
10 गोताखोरों की टीम (नौसेना भी शामिल)
होवरक्राफ्ट, तेज गति वाली गश्ती नौकाएं और इंटरसेप्टर नौकाएं