कवयित्री अनु नेवटिया की कविता के माध्यम से भारत रत्न स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम को शत् शत् नमन।

विज्ञान उनका धर्म था,
करते देश की आराधना थे
प्रकृति की प्रगति की ही
करते हमेशा साधना थे
वस्त्र आभूषण के दिखावे से दूर
सरलता उनकी गुणवत्ता थी
स्वार्थ-लालच उनमें कभी
भर न सकी सत्ता भी
बन जाओगे इंसान, गर खुदमें
एक भी उनकी अच्छाई गढ़ लो
या ऐसा करो कि बस तुम
‘विंग्स ऑफ फायर’ ही पढ़ लो
है कौन ऐसा जग में जो
उनके प्रभाव से बरी है
इस सोशल मीडिया ज़माने में भी
न कोई आलोचक न अरि है
पढ़ा करते नमाज़ और
सुनते संत वाणी भी
प्रेम हृदय में रखते थे
लिखी युद्ध की कहानी भी
नमन तुम्हें हे राष्ट्रीय निर्माता
करते दिल से सलाम हैं
गौरवान्वित है भारत भूमि
कि इस धरा पर जन्मा कलाम है