चैनल हिंदुस्तान डेस्क: देश के सबसे पुराने केस में से एक अयोध्या विवाद पर फैसला आ गया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया है। रामलला का हक माना गया है। साथ ही मुस्लिम पक्ष को अलग जगह जमीन देने का आदेश दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है।
फैसले की बड़ी बातें
- अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, मंदिर का रास्ता साफ
- विवादित जमीन पर माना गया रामलला का हक
- सुन्नी वक्फ को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन मिलेगी
- निर्मोही अखाड़े और शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज
- पक्षकार गोपाल विशारद को मिला पूजा-पाठ का अधिकार
- तीन महीने में केंद्र सरकार करेगी मंदिर ट्रस्ट का गठन
- राम मंदिर निर्माण की रूपरेखा तैयार करेगा नया ट्रस्ट
- मुस्लिम पक्ष को जमीन देने की जिम्मेदारी योगी सरकार की
- आस्था और विश्वास पर नहीं, कानून के आधार पर फैसला
अपना एकाधिकार सिद्ध नहीं कर पाए मुसलमान
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि दस्तावेज़ों से पता चलता है कि 1885 से पहले हिन्दू अंदर पूजा नहीं करते थे। बाहरी अहाता में रामचबूतरा सीता रसोई में पूजा करते थे। 1934 में दंगे हुए। उसके बाद से मुसलमानों का एक्सक्लूसिव अधिकार आंतरिक अहाते में नहीं रहा। मुसलमान उसके बाद से अपना एकाधिकार सिद्ध नहीं कर पाए। हिन्दू निर्विवाद रूप से बाहर पूजा करते रहे। 6 दिसंबर 1992 को मस्जिद का ढांचा ढहा दिया गया। रेलिंग 1886 में लगाई गई।
इस संवैधानिक पीठ ने सुनाया फैसला
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया। इस पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने फैसला सुनाया। खास बात है कि यह फैसला पांचों जजों की सर्वसम्मति से सुनाया गया है।