चैनल हिंदुस्तान डेस्क: बंगाल चुनाव सर्वेक्षकों (Pollsters) के लिए बुरे सपने से कम नहीं तो वहीं गुजरात उनके काम के लिए सबसे आसान राज्य है। ये कहना है एक्सिस माई इंडिया के अग्रणी सर्वेक्षक प्रदीप गुप्ता का। गुप्ता ने ये टिप्पणी तब की जब उनसे 2019 आम चुनाव के लिए भारत के लोगों के मन की थाह लेने के लिए की गई सबसे बड़ी कवायद के बारे में पूछा गया।
गुप्ता ने बताया कि बंगाल में इस बार सर्वे करना बहुत मुश्किल था और यहां सर्वे की चुनौती 2014 से ज़्यादा मुश्किल थी। इसका कारण उन्होंने कानून और व्यवस्था से जुड़े मुद्दों को बताया। गुप्ता ने कहा, “जब हम कोशिश करते हैं और लोगों से बात करते हैं, वो अतिरेक वाली प्रतिक्रिया देते और हमें शक की निगाह से देखते। उनकी सोच इस तरह की लगती जैसे कि वो मानते हो कि हमें बीजेपी या कांग्रेस ने भेजा है क्योंकि वहां तृणमूल कांग्रेस सत्तारूढ़ पार्टी है।”
गुप्ता के मुताबिक बंगाल में वो ‘मौन वोटर’ से मिले। गुप्ता ने बताया कि ये वोटर वो नहीं जिसकी मीडिया बात करता है। गुप्ता कहते हैं कि मीडिया की शब्दावली में जिस वोटर तक मीडिया पहुंच नहीं पाता वो ‘मौन वोटर’ होता है।
गुप्ता ने कहा, “बंगाल में ये फियर-फैक्टर (डर की आशंका) था जिसे हमने अपने अंतिम विश्लेषण में शामिल किया। लोग अपनी राजनीतिक पसंद नहीं बता रहे हैं। किसी खास पार्टी के वफ़ादार लोग मौन रहना पसंद कर रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि ‘दूसरे’ उन्हें पीटेंगे।”
गुप्ता ने कहा, “ये दिलचस्प है कि बीजेपी के वोटर सिवाए बंगाल के हर जगह अपनी राजनीतिक पसंद को बताने के लिए बड़े उत्साहित दिखे। जबकि बंगाल में इसका उलटा दिखा। तृणमूल को वोट करने वाले यहां मुखर दिखे। लेकिन गैर टीएमसी पार्टियों के वोटरों ने मौन रहना ही पसंद किया।”