चैनल हिंदुस्तान डेस्क: महान दार्शनिक, समाज सुधारक और लेखक ईश्वरचंद्र विद्यासागर को लेकर पश्चिम बंगाल में चर्चा गर्म है।
बता दें कि 14 मई को कोलकाता में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के चुनावी रोड शो के दौरान भड़की हिंसा के दौरान कॉलेज परिसर में स्थित महान दार्शनिक, समाज सुधारक और लेखक ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़ दी गई थी। मूर्ति के तोड़े जाने के बाद टीएमसी और बीजेपी आमने-सामने है।
तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी पर मूर्ति तोड़े जाने का आरोप लगाया था। तो बीजेपी ने यह आरोप टीएमसी पर लगाया था। इस घटना के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने ट्विटर अकाउंट की प्रोफाइल फोटो बदलकर ईश्वरचंद्र विद्यासागर की तस्वीर को अपनी नई प्रोफाइल फोटो लगाई थी और आज ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति का अनावरण किया।
जानें कौन हैं ईश्वरचंद्र विद्यासागर
- ईश्वरचंद्र विद्यासागर का जन्म 26 सितंबर, 1820 को कोलकाता में हुआ था।
- विद्यासागर का जन्म पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले के गरीब लेकिन धार्मिक परिवार में हुआ था।
- इनके बचपन का नाम ईश्वर चन्द्र बन्दोपाध्याय था।
- गांव के स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा लेने के बाद वह अपने पिता के साथ कोलकाता आ गए थे।
- पढ़ाई में अच्छे होने की वजह से उन्हें कई संस्थानों से छात्रवृत्तियां मिली थीं।
- वह एक प्रसिद्ध समाज सुधारक, शिक्षा शास्त्री और स्वाधीनता संग्राम के सेनानी थे।
- उन्हें गरीबों और दलितों का संरक्षक माना जाता था।
- स्त्री शिक्षा और विधवा विवाह के खिलाफ ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने आवाज उठायी थी।
- वह काफी विद्वान थे, जिसके कारण उन्हें विद्यासागर की उपाधि दी गई थी।
- ईश्वरचंद्र के कोशिशों से 1856 में विधवा-पुनर्विवाह कानून पारित हुआ।
- उन्होंने अपने इकलौते पुत्र का विवाह एक विधवा से ही किया। उन्होंने बाल विवाह का भी विरोध किया।
- इन्होंने नारी शिक्षा के लिए भी प्रयास किए और इसी क्रम में स्कूल की स्थापना की और कुल 35 स्कूल खुलवाए।
- इन्हें सुधारक के रूप में राजा राममोहन राय का उत्तराधिकारी माना जाता है।
- नैतिक मूल्यों के संरक्षक और शिक्षाविद विद्यासागर का मानना था कि अंग्रेजी और संस्कृत भाषा के ज्ञान का समन्वय करके भारतीय और पाश्चात्य परंपराओं के श्रेष्ठ को हासिल किया जा सकता है।