चैनल हिंदुस्तान डेस्क: जदयू ने गुरुवार को लोकसभा में तीन तलाक बिल का विरोध किया। घोषणा की गई है कि जदयू राज्यसभा में भी इस बिल का विरोध करेगा। भाजपा के लिए महत्वपूर्ण तीन तलाक बिल का विरोध करने के चलते भाजपा-जदयू के रिश्ते में खटास की आशंका जाहिर की जा रही है। पार्टी के बड़े नेता इस आशंका को पूरी तरह खारिज करते हैं। उनका कहना है कि विवादास्पद मुददों पर विरोध के बावजूद दोनों दलों की दोस्ती कायम रहेगी। हम कुछ नया नहीं कर रहे हैं। पार्टी अपने पुराने स्टैंड पर कायम है।
यह पहला मौका नहीं है, जब जदयू और भाजपा के बीच का मतभेद संसद के भीतर और बाहर उजागर हुआ है। जदयू ने साफ कहा है कि वह एक स्वतंत्र राजनीतिक दल की तरह व्यवहार करेगा। दोनों की दोस्ती सुशासन के इकलौते एजेंडे पर टिकी है। इससे इतर राजनीतिक मुददों पर दोनों के बीच संयोग से ही किसी मुद्दे पर एकता कायम हो पाती है।
दोनों दलों के बीच सुशासन पर बनी समझदारी का मॉडल बिहार है। साझा सरकार चल रही है। लेकिन, जदयू के घोषणा-पत्र के किसी हिस्से को लागू करने पर भाजपा ने कभी एतराज नहीं किया। मालूम हो कि दोनों दलों की अल्पसंख्यक संबंधी नीति अलग-अलग है। लेकिन, सरकारी नीतियों को लागू करने के मामले में दोनों के बीच कभी मतभेद नहीं हुआ।
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि तीन तलाक ही नहीं, भाजपा की कश्मीर संबंधी नीति का भी हम समर्थन नहीं करते हैं। जदयू शुरू से कश्मीर के संदर्भ में धारा 370 को हटाने की भाजपा की नीति का विरोध करता रहेगा। उन्होंने कहा कि हम किसी प्रथा की बुराइयों को जारी रखने के समर्थक नहीं हैं। हमारी स्पष्ट राय है कि ऐसी प्रथाओं में सुधार की जरूरत है, लेकिन इसके लिए सभी भागीदारों की सहमति जरूरी है। सभी भागीदारों की राय से कानून बने तो इसे लागू करने में आसानी होगी।
त्यागी ने कहा कि केंद्र सरकार सुशासन के एजेंडे पर जो भी काम कर रही है, जदयू पूरी ताकत से उसके साथ है। भाजपा के साथ भविष्य के रिश्ते के सवाल पर त्यागी ने कहा कि भाजपा के साथ सिर्फ बिहार में हमारा चुनावी गठबंधन हैं। दूसरे राज्यों में जहां भाजपा की सरकारें हैं, हम चुनाव लडऩे जा रहे हैं। बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में इसी साल विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है। जदयू वहां दमखम से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहा है। हमारी अच्छी तैयारी, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और दिल्ली विधानसभा चुनावों को लेकर भी है।