चैनल हिंदुस्तान डेस्क: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को शून्य से उठाने वाले कल्याण सिंह सोमवार को फिर भाजपा के हो गए। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि अब वह किस भूमिका में रहेंगे।
क्या भाजपा उन्हेें पिछड़ों का चेहरा बनाएगी। इसका जवाब भी कल्याण ने ही दे दिया कि भाजपा सर्वस्पर्शी और सर्वग्राही है और इसे वर्गों में बांट नहीं सकते। संकेत यही है कि भारी भरकम व्यक्तित्व और राम मंदिर आंदोलन के नायक के रूप में उनकी हिंदुुत्व की छवि को ही भाजपा उभारेगी।
कल्याण सिंह राज्यपाल के रूप में राजस्थान में पिछले 42 वर्षों का रिकार्ड तोड़कर लौटे हैं। इस अवधि में वहां कोई भी पांच वर्ष तक राज्यपाल नहीं रहा। 87 वर्षीय कल्याण सिंह की सेहत अब ठीक नहीं रहती। उन्हें चलने में तकलीफ होती है लेकिन हौसला अभी भी आसमानी है। राज्यपाल होने की वजह से अभी तक सीबीआइ विवादित ढांचा ध्वंस केस में अदालत में उनकी पेशी नहीं करा रही थी लेकिन अब यह प्रक्रिया भी शुरू होगी। इससे वह निरंतर सुर्खियों में होंगे।
कल्याण सिंह अपनी भविष्य की भूमिका से वाकिफ भी दिखे इसीलिए मंदिर के सवाल पर विपक्ष को घेरा। यह बताना नहीं भूले कि राज्यपाल रहते हुए वह उत्तर प्रदेश के बारे में बोलते तो नहीं थे लेकिन इंटरनेट के जरिये सभी जिलों की खोज खबर रखते थे।
कल्याण सिंह ने कार्यकर्ताओं को विचार, व्यवहार और वाणी में संयम का मंत्र भी दिया। आवास पर मंत्री, सांसद, विधायक और पदाधिकारी भी कल्याण से मिलने के लिए पहुंचे थे।
कल्याण सिंह के अमौसी एयरपोर्ट से भाजपा मुख्यालय तक जयश्रीराम के नारे गूंज उठे। कल्याण की तीन पीढिय़ां एक साथ थीं। सांसद पुत्र राजवीर सिंह राजू, पौत्र व राज्यमंत्री संदीप सिंह व सौरभ सिंह भी उनके दाएं-बाएं चल रहे थे। उन्हें प्रदेश प्रभारी के कक्ष में बिठाया गया।