चैनल हिंदुस्तान डेस्क: उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने आईआरएस प्रशिक्षु अधिकारियों को सलाह देते हुए कहा कि वे नैतिकता और उत्कृष्टता को अपना सिद्धान्त बनाएं। वे भारतीय राजस्व सेवा के 72वें बैच के 173 प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रशासन में सुधार तथा जीएसटी जैसे प्रशासनिक उपायों से प्रशासन की प्रणाली में बदलाव आया है। प्रधानमंत्री द्वारा सभी प्रशासकों को दी गई सलाह ‘सुधार, प्रदर्शन और बदलाव’ का उदाहरण देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आपके पास योग्यता और अवसर है। आप अपने प्रदर्शन से देश में बदलाव ला सकते है।
श्री नायडू ने कहा कि देश के कर-प्रशासन में कई बदलाव हुए है। विमुद्रीकरण का एक प्रमुख परिणाम है – डिजिटल लेनदेन। ऐसे लेनदेन में डिजिटल साक्ष्य मौजूद होते है, जिसकी निगरानी राजस्व विभाग द्वारा की जा सकती है। टैक्स अधिकारी के रूप में आप डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहन प्रदान कर सकते है और डिजिटल माध्यम का चयन करने के लिए व्यापारियों को कुछ छूट भी दे सकते है।
उपराष्ट्रपति ने कौटिल्य का उदाहरण देते हुए कहा, ’सरकार को कर संग्रह एक मधुमक्खी की तरह करना चाहिए। मधुमक्खी उतनी ही मात्रा में पुष्प रस संग्रह करती है, जिससे कि दोनों का जीवन चलता रहे’। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हमारी कर प्रणाली आसान, पारदर्शी, पूर्वानुमान आधारित हो। हम आशा करते है कि आप कर प्रणाली को और भी आसान बनाएंगे।
श्री नायडू ने कहा कि प्रशिक्षु अधिकारी देश की अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण समय में अपनी सेवा की शुरूआत कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने उन्हें सलाह देते हुए कहा कि वे भारत को व्यापार अनुकूल बनाएं और देश को उद्यमी अनुकूल कर-प्रणाली और लोक केन्द्रित कर-प्रशासन प्रदान करें। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। मंहगाई दर निम्न स्तर पर है। विकास दर अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तेज है, इसलिए भारत काम करने के लिए सबसे अच्छी जगह है।