चैनल हिंदुस्तान डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा पर शनिवार सुबह देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे। इस दौरान राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और सीएम त्रिवेंद्र रावत ने उनकी अगवानी की। कुछ देर बाद पीएम मोदी जौलीग्रांट एयरपोर्ट से सेना के हेलीकॉप्टर से केदारनाथ के लिए रवाना हो गए। करीब सुबह नौ बजकर 37 मिनट पर उनका हेलीकॉप्टर केदारनाथ धाम में उतरा।
इसके बाद पीएम मोदी सेफ हाउस से मंदिर तक के सफर में तीर्थ पुरोहितों से कुछ देर बातचीत की। इसके बाद वह मंदिर के गर्भगृह में पहुंचे। यहां करीब उन्होंने 17 मिनट तक बाबा केदार की पूर्जा अर्चना की। इसके बाद उन्होंने मंदिर की परिक्रमा की। इसके बाद वहां मौजूद तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों का पीएम मोदी ने हाथ हिलाकर अभिवादन स्वीकार किया।
परिक्रमा के बाद पीएम को मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने शाल ओढ़ाया। इस मौके पर स्मृति चिह्न भी भेंट भी किया। इसके बाद पीएम मोदी ने केदारनाथ मंदिर के समीप चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों से संबंधित नक्शों का अवलोकन भी किया। करीब एक घंटे तक केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों का निरीक्षण करने के बाद पीएम मोदी विश्राम के लिए मंदिर के पास सेफ हाउस पहुंचे। यहां कुछ देर विश्राम करेंगे।
पीएम मोदी ने केदारनाथ धाम पर बाघाम्बर प्रिंंट का अंग वस्त्र चढ़ाया है और घंटा भी अर्पित किया है। घंटे का वजन एक से डेढ़ क्विंटल का है। धर्म के जानकार बताते हैं कि जब किसी व्यक्ति की मनोकामना पूरी हो जाती है, तो वह घंटे या घंटियां मंदिर में चढ़ाते हैं। कई बार लोग मन्नत मांगने के समय भी इस तरह का उपहार चढ़ाते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को केदारनाथ पहुंचकर बाबा केदार के दर्शन किया। उन्होंने केदारपुरी में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। इसके बाद केदारनाथ स्थित एक गुफा में ध्यान भी लगाएंगे। रात्रि विश्राम भी वह केदारनाथ में कर सकते हैं। अगले दिन रविवार को वह बदरीनाथ धाम पहुंचकर भगवान बदरीनारायण के दर्शन करेंगे और दोपहर बाद दिल्ली लौट जाएंगे।
उत्तराखंड से प्रधानमंत्री मोदी का खास लगाव है और केदारनाथधाम के प्रति उनकी अगाध आस्था है। एक दौर में नमो ने केदारनाथ के नजदीक ही गरुड़चट्टी में साधना की थी। प्रधानमंत्री बनने के बाद वह अक्सर केदारनाथ आते रहे हैं। केदारपुरी का पुनर्निर्माण उनके ड्रीम प्रोजक्ट में शामिल है। वह खुद इसकी मॉनीटरिंग करते आए हैं। इसका नतीजा ये हुआ कि 2013 की आपदा में तबाह हुई केदारपुरी अब नए कलेवर में निखर चुकी है। पिछली बार केदारनाथधाम के कपाट खुलने व बंद होने के अवसर पर वह मौजूद रहे थे।