चैनल हिंदुस्तान डेस्क: कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा मां गंगा के सहारे सूबे में पार्टी की नैया पार लगाना चाहती हैं। इसी मद्देनजर प्रियंका प्रयागराज से वाराणसी तक गंगा नदी में बोट पर सवार होकर अपनी यात्रा करेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में खुद को मां गंगा का बेटा बताकर लोगों की संवेदनाओं को छूने का काम किया था। अब उसी गंगा मैया के सहारे प्रियंका गांधी भी कांग्रेस में जान फूंकने चुनावी समर में उतर रही हैं।
5 राज्य की 80 लोकसभा सीट
गंगा नदी उत्तराखंड के गंगोत्री से निकलकर 2,525 किमी दूरी तय करते हुए पश्चिम बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इस दौरान गंगा देश के पांच राज्यों के होकर गुजरती है। इनमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। इन राज्यों की करीब 80 लोकसभा सीटों पर गंगा का सीधा प्रभाव है और इसका अध्यात्मिक और आर्थिक दोनों रूप से असर है। गंगा नदी के किनारे देश के करीब 50 शहर हैं।
‘गंगाजी का सहारा’
प्रियंका गांधी पूर्वांचल में अपने चुनावी अभियान का आगाज मां गंगा के सहारे करने की रणनीति अपनाई है। प्रियंका गांधी ने अपने खत में गंगा को सच्चाई और समानता का प्रतीक बताते हुए कहा कि वह किसी से भेदभाव नहीं करतीं। उन्होंने कहा, ‘गंगाजी उत्तर प्रदेश का सहारा हैं। मैं गंगाजी का सहारा लेकर भी आपके बीच पहुंचूंगी।’
प्रियंका अपने दौरे से इन सीटों पर असर डालेंगी
प्रियंका गांधी प्रयागराज से काशी तक का सफर गंगा में बोट पर सवार होकर करेंगी। सीधे तौर पर वे प्रयागराज, भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी सीट के लोंगो से संपर्क करेंगी। इन चार सीटों के अलावा अप्रत्यक्ष रूप में प्रियंका गांधी कौशांबी, फूलपुर, मछलीशहर, जौनपुर, सोनभद्र, चंदौली और गाजीपुर सीट के लोगों को साधने का काम करेंगी।
गंगा से प्रियंका गांधी के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का पुराना नाता रहा है। राजीव गांधी ने गंगा निर्मलीकरण के लिए काशी में ही गंगा एक्शन प्लान की नींव रखी थी। अब जब प्रियंका चुनावी अभियान मां गंगा के जरिए करने जा रही हैं। ऐसे में गंगा सफाई को लेकर वो सवाल खड़े कर सकती हैं, क्योंकि बीजेपी ने गंगा के सफाई के लिए बड़े-बड़े वादे किए थे।