चैनल हिंदुस्तान डेस्क: सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक संकट के सिलसिले में दाखिल तीन याचिकाओं पर शुक्रवार को एक साथ सुनवाई कर रहा है। पहली याचिका 10 बागी विधायकों ने जबकि दूसरी याचिका कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष और तीसरी याचिका यूथ कांग्रेस के नेता और वकील अनिल चाको जोसेफ की ओर से दाखिल की गई है। बागी विधायकों की ओर से पेश हुए वकील मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि विधानसभा अध्यक्ष भी कुछ अपवादों को छोड़कर अदालत के प्रति जवाबदेह हैं। उनकी ओर से यह भी कहा गया कि इस्तीफों की स्वीकृति के मामले में अध्यक्ष के पास कोई बचाव नहीं है।
वहीं कांग्रेस नेता एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस्तीफा देने वाले विधायकों का इरादा कुछ अलग है, यह अयोग्यता से बचने के लिए है। उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा अध्यक्ष जबतक संतुष्ट नहीं होंगे कि इस्तीफे बिना किसी दबाव के विधायकों की मर्जी से दिए गए हैं तब तक वह फैसला नहीं ले सकते हैं। इस दलील के पक्ष में उन्होंने आर्टिकल 190 का हवाला दिया। इस पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पेश हुए वकील से पूछा कि क्या स्पीकर के पास सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी चुनौती देने की शक्ति है। बागी विधायकों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर यूथ कांग्रेस ने भी सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग की है। यूथ कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि उसके 400 कार्यकर्ता मामले में पार्टी बनना चाहते हैं।
स्पीकर बोले, बिजली की गति से नहीं करूंगा काम
स्पीकर ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की परवाह न करते हुए तत्काल फैसला लेने से इनकार किया और कहा कि उनसे यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि वह बिजली की गति से काम करेंगे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 10 बागी विधायकों को शाम 6 बजे तक स्पीकर के सामने पेश होने का निर्देश दिया था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि अगर विधायक इस्तीफा देने के इच्छुक हैं तो इसकी जानकारी स्पीकर को दें। कोर्ट ने स्पीकर से भी अनुरोध किया कि वह विधायकों को सुनें और तुरंत उस पर फैसला लें। स्पीकर जो भी फैसला लें वह शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया जाए।