चैनल हिंदुस्तान डेस्क: आम्रपाली केस में 10 मई को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फैसला सुरक्षित रखने के बाद मंगलवार को खरीदारों के हित में फैसला सुनाया गया। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को एनबीसीसी को आम्रपाली के अधूरे पड़े प्रोजेक्ट पूरा करने का आदेश दिया। इस दौरान अदालत ने कई सख्त आदेश दिए। सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद आम्रपाली के करीब 45000 खरीदारों को उनका सपनों का घर मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। इस दौरान अदालत ने आम्रपाली के अधूरे पड़े प्रोजेक्ट पर केवल खरीदारों का हक बताया।
बिल्डर्स ने बायर्स से भारी मात्रा में पैसा लिया
शीर्ष अदालत ने कहा कि घर खरीदार बाकी बचे हुए पैसे को तीन महीने में सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा करा दे। अदालत ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को आदेश दिया कि वे खरीदारों पर किसी तरह की कार्रवाई न करें। डायरेक्टर्स ने खरीदारों के पैसे को कहीं और डायवर्ट किया। बिल्डर्स ने बायर्स से भारी मात्रा में पैसा लिया। अदालत ने आम्रपाली के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए RERA के तहत कराया गया रजिस्ट्रेशन भी रद्द करने का आदेश दिया।
फ्लैट की बोगस अलॉटमेंट की गई
अदालत ने कहा आम्रपाली ग्रुप ने मनी लॉन्ड्रिंग की है। फ्लैट की बोगस अलॉटमेंट की गई और बड़ी धोखाधड़ी की गई। अदालत ने पूरे मामले में प्रवर्तन निदेशालय को मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच करने के भी आदेश दिए। अदालत ने आर वेंकट रमानी को कोर्ट रिसीवर नियुक्त किया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा आम्रपाली ग्रुप को नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी द्वारा दी गई लीज रद्द की जाए।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से मामले में उचित कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साल 2015 से 2018 के बीच आम्रपाली का अकाउंट मैंटेन नहीं था, इसी दौरान पैसा इधर से उधर हुआ है। इससे पहले भी अदालत ने आम्रपाली ग्रुप को फटकार लगाते हुए कहा था कि आपने आसमान की ऊंचाई तक लोगों के साथ धोखा किया है।