चैनल हिंदुस्तान डेस्क: महाशिवरात्रि व्रत हिन्दू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं। इसलिए हर महीने कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भी शिवरात्रि व्रत किया जाता है। जिसे मास शिवरात्रि व्रत कहा जाता है। इस तरह सालभर में 12 शिवरात्रि व्रत किए जाते हैं लेकिन इनमें फाल्गुन महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी बहुत खास है। यानी फरवरी या मार्च में आने वाली इस तिथि को महाशिवरात्रि के रुप में मनाया जाता है। आज महाशिवरात्रि का व्रत किया जा रहा है और मध्यरात्रि में शिवजी की पूजा की जाएगी।
महाशिवरात्रि व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इस व्रत को अर्धरात्रिव्यापिनी चतुर्दशी तिथि में करना चाहिए। इस वर्ष सोमवार 4 मार्च को दोपहर 4 बजकर 11 मिनट से चतुर्दशी तिथि लग रही है जो कि मंगलवार 5 मार्च को शाम 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। अर्धरात्रिव्यापिनी ग्राह्य होने से यानी मध्यरात्रि और चतुर्दशी तिथि के योग में 4 मार्च को ही महाशिवरात्रि मनायी जाएगी।
महाशिवरात्रि इस साल क्यों है खास
महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस साल महाशिवरात्रि सोमवार को है। सोमवार का स्वामी चन्द्रमा है। ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को सोम कहा गया है। और भगवान् शिव को सोमनाथ। अतः सोमवार को महाशिवरात्रि का होना बहुत ही शुभ माना गया है। सोमवार को शिवजी की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
महाशिवरात्रि पर सूर्य-चंद्रमा शिव योग बना रहे हैं। ये योग सोमवार को दोपहर 1 बजकर 43 मिनट से शुरू हो रहा है। यह कल्याणकारक एवं सफलतादायक योग होता है। इसमें भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल मिलता है। इसमें वेदाध्ययन, आध्यात्मिक चिन्तन और बौद्धिक कार्य करना भी शुभ माने जाते हैं। शिव योग में पूजन, जागरण और उपवास करने वाले मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता।
महाशिवरात्रि पर श्रवण और घनिष्ठा नक्षत्र होने से सिद्धि एवं शुभ नाम के योग बन रहे हैं। वहीं तिथि, वार और नक्षत्र मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग भी बना रहे हैं। इन 3 शुभ योगों के कारण महाशिवरात्रि का पर्व और भी खास हो गया है। इन शुभ योगों में शिवजी की पूजा सफल हो जाती है। वहीं हर तरह की खरीदारी और शुभ काम इन योगों में किए जा सकते हैं।